COMPUTER INTRODUCTION  (कंप्यूटर का परिचय )


कंप्यूटर की बेसिक जानकारी शुरू करने से पहले सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि कंप्यूटर क्या है और यह किस पद्धति पर काम करता है तो आइए जानें कोशिश करते हैं कंप्यूटर क्या है | 


कंप्यूटर क्या है -



कंप्यूटर शब्द अंग्रेजी के "Compute" शब्द से बना हैजिसका अर्थ है "गणना"करना होता है इसीलिए इसे गणक या संगणक या अभिकलक यंत्र भी कहा जाता है और इसका अविष्‍कार Calculation करने के लिये हुआ था | 


कम्प्यूटर के निम्‍न महत्वपूर्ण भाग होते है:-
1. मॉनिटर ( Monitor )
2. माउस ( Mouse )
3. कीबोर्ड ( Keyboard )
4. सेंट्रल प्रोसेसिंग ( Central Processing Unit )
5. यू.पी.एस अनिट्रप पावर सप्लाई )


1. मॉनिटर ( Monitor ) :-
कंप्यूटर मॉनिटर एक ऐसी डिवाइस है जो आपके कंप्यूटर के साथ अगर अटैच ना की गई हो तो आप कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं क्योंकि आपको वहां पर कुछ दिखा ही नहीं दिखाई नहीं देगा 
    

मॉनिटर  तीन प्रकार के होते है:- 

A. CRT Monitor (Cathode Ray Tube)

B. LCD (Liquid Crystal Display)

C. LED (Light Emitting Diode)





A.  CRT Monitor :-

जबकि जो पुराने मॉनिटर होते थे वह कैथोड रे ट्यूब (Cathode Ray Tube) के बने होते थे इनकी गहराई लगभग स्क्रीन के साइज के बराबर ही होती थी और यह बिजली भी बहुत खर्च करते थे अधिकतर मॉनीटर में Picture tube होता है जो देखने में बिलकुल टीवी की तरह होता है यह Picture tube सी.आर.टी. कहलाती है CRT बहुत सस्‍ती तकनीक है



Cathode Ray Tube  CRT मोनीटर में एक Electron gun होता है जो की Electrons की Beam और Cathode Rays को उत्सर्जित करती है ये Electron beam, Electronic grid से पास की जाती है ताकि electron की Speed को कम किया जा सके CRT Monitor की Screen पर फास्फोरस की Coding की जाती है इसलिए जैसे ही electronic beam Screen से टकराती है तो Pixel चमकने लगते हैं और मोनीटर Screen पर डिस्‍पले दिखाई देने लगता है


B. LCD (Liquid Crystal Display) :-

LCD (Liquid Crystal Display) कंप्यूटर मॉनिटर का जो डिस्प्ले होता है वह बहुत पतला होता है और यह पतले फिल्म ट्रांजिस्टर लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले का बना होता है Liquid Crystal Display को LCD के नाम से भी जाना जाता हैं यह Digital Technology हैं जो एक Flat सतह पर तरल क्रिस्टल के माध्यम से आकृति बनाता हैं यह कम जगह लेता है यह कम बिजली की खपत करता है |



C. LED (Light Emitting Diode):-
वर्तमान समय में LCD (Liquid Crystal Display) के स्‍थान पर LED (Light Emitting Diode) का इस्‍तेमाल किया जा रहा है यह देखने में बिलकुल LCD Monitor की तरह ही लगते हैं लेकिन LED 1.5 watts की पावर इस्‍तेमाल करती है और ऑखों पर बहुत कम जोर डालती है LED Monitor LCD की तुलना में अधिक समय तक काम करते हैं LED को लाइट एमिटिंग डायोड भी कहा जाता है यह एक सेमीकंडक्टर डिवाइस होता है जो लाइट को एमिटिंग या उत्‍सर्जित करता है LED एक बहुत महत्वपूर्ण आविष्कार रहा है इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा मात्रा में लोगों के द्वारा किया जा रहा है




2. माउस ( Mouse ) :-

माऊस कम्प्यूटर के प्रयोग को सरल बनाता है यह एक तरीके से रिमोट डिवाइस होती है और साथ ही इनपुट डिवाइस होती है।



माउस के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी -

 Important information about the mouse जरा सोच कर देखिये कि अचानक आपके कम्‍प्‍यूटर का माउस खराब जाये तो आप कितने परेशान हो जायेगेंतुरंत बाजार जायेगेंऔर कम्‍प्‍यूटर की दुकान से अपनी पसंद का माउस खरीद लायगेंक्‍योंकि आज के समय में बिना माउस के कम्‍प्‍यूटर की कल्‍पना ही नहीं की जा सकती हैलेकिन क्‍या आप जानते हैं कि कम्‍प्‍यूटर के संचालन को बेहद सरल बनाने वाले इस यंञ की परिकल्‍पना आज से 54 वर्ष पहले की थीमाउस का आविष्कार किसने किया - Computer mouse Inventorमाउस का अविष्‍कार 1960 में डग एंजेलबर्ट के द्वारा किया गया था और आपको जानकार आश्‍चर्य होगा कि पहला माउस लकडी का बना हुआ थाजिसमें धातु के दो पहिये लगे हुए थे। यह उस समय की बात है जब कम्‍प्‍यूटर की प्रथम पीढी चल रही थी और कम्‍प्‍यूटर का आकार किसी कमरे के बराबर होता था।


माउस क्या है - What is Mouse

'माउसएक हार्डवेयर है और कंप्‍यूटर में इस्‍तेमाल होने वाला इनपुट डिवाइस हैइसे पॉइंटर डिवाइस (pointing device) माउस की सहायता से आप कंप्‍यूटर में दिखाई देने वाले तीर के आयकन जिसे कर्सर करते हैं को मूव कर सकते हैं तथा कंप्‍यूटर में दिखाई देेेेने वाले किसी भी बटन या मेेन्‍यू पर आसानी से क्लिक कर सकते हैंएक साधारण माउस में दो बटन होते हैं जिसे Left Click और Right Click के नाम से जाना जाता है इन बटनों के प्रयोग को जरूरत के हिसाब से एक दूसरे से बदला भी जा सकता है  माउस की आवश्यकता क्यों है पुराने समय के कंप्‍यूटर के ऑपरेटिंग सिस्‍टम हाेते थे वह CUI यानि Character User Interface पर आधारित होते थे जैसे MS DOC जिसमें केवल कीबोर्ड से ही काम चल जाया करता था लेकिन जब से ग्राफिकल यूज़र इन्टरफेस (GUI) पर आधारित ऑपरेटिंग सिस्‍टम जैसे विंडोज 95, विडोंज 98 अाने लगे तब से कीबोर्ड से काम करना मुश्किल हो गया और जरूरत पडी ऐसे उपकरण की जिसकी सहायता से स्‍क्रीन पर कहीं भी काम किया जा सकते हैं माउस किस प्रकार काम करता हैंMouse कंप्‍यूटर स्‍क्रीन को DPI या पिक्‍सल में बांट देता है अगर आप बाजार से माउस खरीद कर लायें तो उसके डब्‍बे पर उसकी DPI लिखी रहती है DPI की फुलफार्म है डॉट पर इंंचयानि एक वर्ग इंच में कुछ डॉट की संंख्‍याअब ये डीपीआई जितने ज्‍यादा होगें आप उनते ज्‍यादा बेहतर ग्राफिक्‍स तैयार कर पायेगें लेकिन साधारण काम के लिये कम DPI से भी काम चल जाता है 





माउस कितने प्रकार के होते है - 
Type Of Computer Mouse 

A.
मैकेनिकल माउस (Mechanical mouse) -


माउस का सबसे पुराना रूप है इस माउस में रबर बॅाल लगी होती थी और जब इसे पैड पर घुमाया जाता था तो यह रबर बॉल अंदर लगी चकरी का घुमाती थीजिससे सिग्‍लन कंप्यूटर को भेजे जाते थे लेकिन यह माउस ज्‍यादा सफल नहीं हुआ कारण था कि जो रबर बॉल भी वह अटक जाती थी और इतना अच्‍छा काम नहीं करती थी 

B.
ऑप्‍टो मैकेनिकल माउस (
Optomechanical Mouse)-

ऑप्‍टो मैकेनिकल माउस को मैकेनिकल माउस से बेहतर बनाया गया इसमें मैकेनिकल सेंसर के स्थान पर ऑप्टिकल सेंसर लगाया गयाऑप्‍टो मैकेनिकल माउस में LED (Light Emitting Diode) और फोटो डिटेक्टर मिलकर माउस द्वारा तय दुरी का अनुमान लगाकर ठीक प्रकार से काम करते थे लेकिन इस मॉडल में भी कुछ खामियां थी

C.
ऑप्टिकल माउस (Optical mouse
) -फाइनली आया एक अत्याधुनिक उपकरण ऑप्टिकल माउस (Optical mouse) जिसे वर्तमान में इस्‍तेमाल किया जा रहा हैइसमें LED (Light Emitting Diode) का प्रयोग माउस द्वारा तय की गई दुरी को डिटेक्ट करने के लिय किया जाता है इसमें कोई घुमने वाला पुर्जा नही होता 

D.
वायरलेस माउस (Wireless mouse) -वायरलैस माउस भी एक ऑप्टिकल माउस (Optical mouse) ही है लेकिन इसमें तार नहीं होता है बल्कि माउस को पावर देने के लिये एक बैटरी होती है और कंप्‍यूटर मेें एक Radio frequency (RF) रिसीवर लगाया जाता है



3. कीबोर्ड ( Keyboard ):-

 इसका प्रयोग कम्प्यूटर मे टाइपिंग लिए किया जाता हैयह एक इनपुट डिवाइस है हम केवल की-बोर्ड के माध्यम से भी कम्‍प्‍यूटर को आपरेट कर सकते है।




की-बोर्ड क्‍या है :-what is keyboard in computer
की-बोर्ड टाइपराटर जैसा उपकरण होता है जिसमें कम्प्यूटर में सूचनाए दर्ज करने के लिए बटन दिये गये होते हैं इस पर जो बटन होते हैं उन्‍हें हम की (key) कहते है ।
इसका  अविष्कार किसने किया ?
क्रिस्टोफर लैथम शोलेज (Christopher Latham Sholes) एक अमेरिकी आविष्कारक जिन्होंने पहले व्यावहारिक टाइपराइटर और QWERTY कुंजीपटल का आविष्कार किया था जो आज भी प्रयोग में है। कीबोर्ड किस प्रकार की डिवाइस हैकीबोर्ड एक इनपुट डिवाइस (Input Device) है|

कीबोर्ड के प्रकार -  Types of Computer Keyboard
I. डिजायन के अनुसार
A.वायर्ड या तार वाले कीबोर्ड - 
वायर्ड या तार वाले कीबोर्ड कीबार्ड दो प्रकार के आते हैैं इसमें पहला है PS/2 कीबोर्ड और दूसरा है USB कीबोर्ड यह एक तार द्वारा कंप्‍यूटर से जोडें जाते हैं 
B. वायरलेस या बिना तार वाला कीबोर्ड -
  यह कीबोर्ड वायर्ड कीबोर्ड की तुलना में महगे हाेते हैं और इन्‍हें प्रयोग करने के लिये बैट्री या सेल का प्रयोग किया जाता है कंप्‍यूटर से कनेक्‍ट करने के लिये है इनके साथ एक USB रिसीवर आता जो एक रेडियो फ्रीक्वेंसी (Radio Frequency) Receiver होता है जो कीबोर्ड से प्राप्‍त सिंग्‍नल को कंप्‍यूटर तक भेजता है 


II.कार्य के अनुसार 

A.टाइपिंग कीबोर्ड - 
यह साधारण कीबोर्ड होता है जिससे टाइपिंग की जा सकती है

B. मल्टीमीडिया कीबोर्ड -  यह वह कीबोर्ड होते हैैं जिसमें टाइपिंग कीज के साथ-साथ मल्टीमीडिया कीज जैसे स्‍पेशल कीज अलग से दी गयी होती हैं जैसे वाल्‍यूम कीज, play pause forwar कुछ मल्टीमीडिया बोर्ड में मल्टीमीडिया कीज के साथ साथ इंटरनेट कीज भी दी गयी होती हैं जैसे होम बटन इत्‍यादि 



कीबोर्ड को QWERTY कीबोर्ड क्‍यों कहा जाता है ?


आधुनिक कीबोर्ड पुराने टाइप राइटर से लिया गया है अगर आप गौर से देखें तो कीबोर्ड के अक्षर QWERTY से शुरु होते हैं। जब क्रिस्टोफर लैथम शोलेज (Christopher Latham Sholes) ABCD क्रम वाले टाइप राइटर पर काम कर रहे थे उन्‍हाेंने एक खामी का पता चलाचूकिं टाइपराइटर में बटन एक धातु की छड के सहारे दबाये जाते हैं और जब बटनों सीधा क्रम में लगाया गया यानि ABCDEF फॉर्मेट में तो वह तो बटन जाम हो रहे थे और एक के बाद एक होने की वजह से दबाने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा था  जिसकी वजह से जल्दी टाइप करना नामुमकिन था और उस समय टाइपराइटर में बैकस्पेस का बटन नहीं था। यही वजह है कि आपके कीबोर्ड में QWERTY शब्दों का इस्तामाल किया गया ताकि टाइप करने में आसानी रहे।

कीबोर्ड की जानकारी - information about the keyboardकीबोर्ड में कितनी कीज होती है आजकल कीबोर्ड हर कोई अपने हिसाब से डिजायन कर रहा है लेकिन अगर देखा जाये तो एक साधारण कीबोर्ड में 101 कीज होती हैलेकिन स्‍पेशल कीज ने इनकी संंख्‍या को बढा दिया हैंं अधिेक 112 होती हैं |



कप्यूटर कीबोर्ड में कितने प्रकार की कीज” होती है ?
कंप्यूटर कीबोर्ड में निम्न प्रकार की कीज” होती है -
A. टाइपराइटर कीज - (Typewriters Key) 
B.फंक्शन कीज - (Function Keys)
C.कर्सर कंट्रोल कीज - (Cursor control keys)
D.मोडीफायर की - (Modifier key)
E. टॉगल की  - (Toggle keys)
F. स्‍पेशल कीज (Special Keys)



A.टाइपराइटर कीज:- Typewriters

ये की बोर्ड का मुख्‍य हिस्‍सा होता हैयह मुख्‍यत टाइपिंग सम्‍बन्‍धी कार्य को करने में काम आता हैइन्‍हीं की से हम किसी भी भाषा में टाइप कर सकते हैंइसके लिये सिर्फ हमको कम्‍प्‍यूटर में फान्‍ट बदलना होगाइसमें इनमें अक्षरविराम चिह्नऔर प्रतीक कीज भी शामिल हैंकी-बोर्ड की दाई  ओर न्यूमेरिक की-पैड होता है जिसमें कैलुक्यूलेटर के समान कीज होती है। इनसे से कुछ कीज दो काम करती हैं। न्यूमेरिक कीज के दोनो कार्यो को आपस में बदलने के लिए नम लोक की का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए-संख्या 7 युक्त कीहोम की के रूप में केवल तभी काम करती है। जब नम लोक की आफ होती है। जब नम लोक की आन होती है। तो 1,2,3,4,5,6,7,8,9,0 चिनिहत कीजन्यूमेरिक कीज के रूप में काम करती है। इनमें से किसी को भी दबाने पर स्क्रीन पर एक संख्या दिखाई देता है।

इसमें मुख्य रूप से तीन key आती है alphabetic keys, number keys, लॉजिक या स्पेशल करैक्टर की आते हैं
i. alphabetic keys :- A TO Z
ii. number keys :- 0 TO 9

iii. लॉजिक या स्पेशल करैक्टर की :-
कीबोर्ड के सभी सिंबल/स्‍पेशल कैरेक्‍टर के नाम हिंदी में - 
~ Tilde – टिल्डे
` Open Quote – ओपन कोट्स
! Exclamation mark – एक्‍सक्‍लेमेशन मार्क
@ at symbol – एट सिम्‍बल
# hash – हैश टैग
$ Dollar - डॉलर साइन
% Percent – परसेंट
^ Caret - कैरेट
& and symbol – एण्‍ड सिम्‍बल
* Asterisk – एक्‍टेरिस्‍क
( Open Round brackets. – ओपन राउंड ब्रेकेट
) Close Round brackets – क्‍लोज राउंड ब्रेकेट
- Hyphen, minus or dash – हाइफन – माइनस – डेश
_ Underscore – अंडरस्‍कोर
+ Plus – प्‍लस
= Equal – इक्‍वल
{ Open curly bracket – ओपन करली ब्रेकेट
} Close curly bracket – क्‍लोज करली ब्रेकेट
[ Open bracket. – ओपन बाक्‍स ब्रेकेट
] Closed bracket – क्‍लोज बाक्‍स ब्रेकेट
| Vertical bar – वर्टीकल बार
\ Backslash – बैक स्‍लैश
/ Forward slash- फारवर्ड स्‍लैश
: Colon – कॉलन
; Semicolon – सैमी कॉलन
" Double quote – डबल कोट
' Single quote – सिंगल कोट
< Less than – लैस दैन
> Greater than – ग्रेटर दैन
, Comma – कॉमा
. Full stop – फुल स्‍टॉप या डॉट
? Question mark – क्‍विश्‍चन मार्क





B. फंक्शन कीज :- Function Keys

टाइपराइटर की के सबसे ऊपरी भाग में एक लाइन में F1 से लेकर F12 संख्या तक रहती है। किसी भी साफ्टवेयर पर काम करते समय इनका प्रयोग उसी साफ्टवेयर में दी गयी सूची के अनुसार अलग अलग तरीके से किया जाता है


Use of F1 Function key in computer
किसी भी software का Help and Support center ओपन करने के लिये आप F1 का Use कर सकते हैं

Use of F2 Function key in computer

किसी भी file या folder पर माउस से क्लिक करों और F2 प्रेस करोऐसा करने से आप उस file या folder को Rename कर सकते हो 

Use of F3 Function key in computer

कंप्‍यूटर में या इंटरनेट पर किसी भी जगह से F3 Key प्रेेस करने से search आप्‍शन ओपन हो जाता है।

Use of F4 Function key in computer

इस Function key  को Alt के साथ प्रेस करने से खुला हुए कोई भी software बन्द हो जाता है अगर आप इसे डेस्‍कटॉप Alt+ F4 दबायेगें तो shutdown का आप्‍शन खुल जाता है। 

Use of F5 Function key in computer

इस Function key को प्रेेस करने से रनिंग विंंडो या एप्‍लीकेशन refresh की जा सकती है। browser refresh करने के लिये भी आप इस की का Use कर सकते हो 

Use of F6 Function key in computer

इस Function key को ब्राउजर में Use करने से cursor सीधा  address bar मे cursor bar ले जाया जा सकता है


Use of F7 Function key in computer
windows में इस की का कोई Use नहीं हैलेकिन वर्ड-एक्‍सल जैसी एप्‍लीकेशन में इसका इस्‍तेमाल होता है 

Use of F8 Function key in computer
Windows install करते समय इस की का प्रयोग किया जाता हैइससे आप बूट वगैरह

Use of F9 Function key in computer
इस key का windows मे तो कुछ प्रयोग नही हैलेकिन माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक में ईमेल भेजने के लिये इस्‍तेमाल किया जाता है 

Use of F10 Function key in computer
इससे किसी भी software के menu को ओपन करने के लिये किया जाता हैइसे प्रेस करने से menu सलेक्‍ट हो जाता है और आप ऐरो कीज की मदद से उसे खोल सकते हैंं 

Use of F11 Function key in computer
 browser और बहुत सी एप्‍लीकेशन को Full Screen Mode में चलाने के लिये इसका प्रयोग किया जाता हैै 

Use of F12 Function key in computer
माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में इस की को प्रेेस करने से Save as window ओपन होती है और Ctrl+F12 को एक साथ प्रेस करने से आप पहले से सेव फाइल को ओपन कर सकते हो | 

C.कर्सर कंट्रोल कीज :-  Cursor control keys
इन कीज से कम्‍प्‍यूटर के क्रर्सर को नियंत्रित किया जाता हैइससे आप कर्सर को अपडाउनलेफ्टराइट आसानी से ले जाया जा सकता हैयह की बोर्ड पर ऐरो के निशान से प्रर्दशित रहती है। इसको  नेविगेशन की  कहते  है 
की-बोर्ड पर ऐरो कीज के अलावा  कुछ और कर्सर कन्ट्रोल कीज भी मौजूद रहती है। 
ये इस प्रकार है-
एंटर  :- Enter keys - एंटर की को रिर्टन की भी कहा जाता है। इसका प्रयोग मुख्य रूप से दो कार्यो के लिए किया जाता है। पहला यह पीसी को सूचना देता है कि आपने निर्देश देने का काम छोड दिया है। अत: वहा दिए गए निर्देशों को प्रोसेस या एक्जीक्यूट करें। दूसरा माइक्रोसाफ्ट वर्ड प्रोग्राम का प्रयोग करते समय एन्टर की दबाने पर नया पैराग्राफ या पंकित शुरू हो जाती है।
टैब की :- Tab यह कर्सर को एक पूर्वनिर्धारित स्थान पर आगे ले जाती है। इसके द्वारा आप पैराग्राफ शुरू कर सकते है तथा कालमटैक्स्ट या संख्याओं को एक सीध में लिख सकते है। कुछ साफ्टवेयरों में यह मेन्यू में एक विकल्प से दूसरे विकल्प पर जाने में मदद करती है।
डिलीट की :- Delete - कर्सर की दार्इ ओर लिखे कैरेक्टर या स्पेस को आप इसको दबाकर मिटा सकते है।
बैकस्पेस की :- Back Space - इसे दबाकर आप कर्सर के बार्इ और लिखे अक्षर को मिटा सकते है। ऐसा करने पर कर्सर अन्त में टाइप किए गए अक्षर को मिटाने हुए बार्इ ओर लौटता है।
पेज अप कीज :- Page Up keys - इनका प्रयोग डाक्यूमेंट के पिछले पृष्ठ पर जाने के लिए किया जाता है।
पेज डाउन कीज:- Page Down keys - इनका प्रयोग अगले पृष्ठ पर जाने के लिए किया जाता है।
होम की:- Home Key - इसका प्रयोग कर्सर लाइन के शुरू में लाने के लिए होता है।
एंड की:- End Key - यह की कर्सर को लाइन के अंत में ले जाती




D. मोडीफायर की - Modifier key


इसमें मुख्य रूप से तीन key आती है


i शिफ्ट कीज :- Shift Keys 

ii.कंट्रोल कीज :- Ctrl  keys

iii. आल्ट कीज :- Alt keys


शिफ्ट कीज :- Shift Keys इसको दबाकर यदि आप कोई अक्षर की दबाए तो वह अपर केस अक्षर में ही टाइप होगी। यदि कैप्स लाक आन की सिथति में हो तो यह क्रिया  उलट जाएगी। जब एक की पर दो चिन्ह या कैरेक्टर बने हों तब शिप्ट की दबाने से ऊपरी चिन्ह स्क्रीन पर दिखाई  देगा।
कंट्रोल एंव आल्ट कीज :- Ctrl and Alt keys-  कंट्रोल एंव आल्ट कीज का प्रयोग अकसर कोई  विशेष काम करने के लिए अन्य की के साथ संयुक्त् रूप में किया जाता है। जैसे- कंट्रोल और सी को एक आप डोस प्राम्प्ट पर लौट आते है। 
कंट्रोल आल्ट और डिलीट कीज को एक साथ क्रमवार दबाने से मशीन स्वयं ही दोबारा शुरू हो जाती है।

E . टॉगल की  - Toggle keys

कंप्यूटर का वह कुंजी जिससे एक से अधिक फंक्शन को प्रयोग करते हैं उसको टॉगल कुंजी (की) कहते हैंजैसे कैप्स लॉक (CAPS LOCK), नम लॉक (Num Lock) , स्क्रॉल लॉक (Scroll Lock) और इन्सर्ट(Insert) कीज उदाहरण के लिए अगर कैप्स लॉक ऑन है तो जब आप टाइप करेंगे तो लेटर अपर केस में टाइप होता हैं और जब कैप्स लॉक ऑफ हो तो लोअर केस में

F. स्‍पेशल कीज (Special Keys)

टाइपिंग कीज के साथ-साथ कुछ अलग काम करने के लिये कीज दी गयी होती हैं इन्‍हें स्‍पेशल कीज कहते हैैं मल्टीमीडिया कीज जैसे स्‍पेशल कीज अलग से दी गयी होती हैं प्रिंट स्‍क्रीन कीजविंडोज कीज  




4. सी. पी. यू.(सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट):- 


यह कम्प्यूटर का महत्वपूर्ण भाग होता है|  हमारा सारा डाटा इसी में  सेव रहता है |  कम्प्यूटर के सभी भाग सी. पी. यू. से जुडे रहते है।

 
 
सीपीयू कम्‍प्‍यूटर का मुख्‍य भाग होता हैइसी प्रकार सी0पी0यू0 भी कई भागों में बॅटा होता है या वह भी कई हार्डवेयरों को जोडकर बनाया जाता हैइन्‍ही हार्डवेयर भागों की गुणवत्‍ता और क्षमता पर सी0पी0यू0 की कार्यक्षमता निर्भर करती है तो आईये जाने 

सी0पी0यू0 के भागों के बारें में 




हार्ड डिस्क:-

 यह वह भाग है जिसमें कम्प्यूटर के सभी प्रोग्राम और डाटा सुरक्षित रहते है। हार्ड डिस्क की मेमोरी स्थायी होती हैइसीलिए कम्प्यूटर को बंद करने पर भी इसमें सुरक्षित प्रोग्राम और डाटा समाप्‍त नहीं होता है। आज से 10 वर्ष पहले हार्डडिस्‍क की स्‍टोरेज क्षमता गीगाबाइट/जी0बी0 मेगाबाइट या एम0बी0 तक सीमित रहती थी किन्‍तु आजकल हार्ड डिस्क की स्‍टोरेज क्षमता को टेराबाइट या टीबी में मापा जाता है किन्तु आजकल 500 जी0बी0 तथा 1 TB या 1000 GB के क्षमतायुक्त पीसी लोकप्रिय हो गए है। हार्ड डिस्क की क्षमता जितनी अधिक होगी उतना ही ज्‍यादा डाटा स्‍टोर किया जा सकता है।


मदर बोर्ड :-


मदर बोर्ड फाइबर ग्लास का बना एक समतल प्लैटफार्म होता हैजो कम्‍प्‍यूटर के सभी हार्डवेयरों को जैसे की बोर्डमाउसएल0सी0डी0, प्रिन्‍टर आदि को एक साथ जोडें रखता है। मदरबोर्ड से ही प्रोसेसरहार्डडिस्‍करैम भी जुडी रहती है तथा यू0एस0बी0, या पेनडाइव लगाने के लिये के भी यू0एस0बी0 पाइन्‍ट मदरबोर्ड बोर्ड में दिये गये होते हैं। साथ ही मदरबोर्ड से ही हमें ग्राफिकतथा साउण्‍ड का आनन्‍द भी मिलता है। 



सेन्ट्रल प्रासेसिग यूनिट (प्रोसेसर):-

 यह कम्प्यूटर का सबसे अधिक महत्वपूर्ण भाग है। इसमें एक माक्रोप्रोसर चिप रहता है जो कम्प्यूटर के लिए सोचने के सभी काम करता है और यूजर के आदेशेा तथा निर्देशों के अनुसार प्रोग्राम का संचालन करता है। एक तरह से यह कम्‍प्‍यूटर का दिमाग ही होता है। इसी वजह से यह काफी गरम भी होता है और इसको ठंडा रखने के लिेये इसके साथ एक बडा सा फैन भी लगाया जाता है जिसे सी0पी0यू0 फैन कहते हैं। आजकल प्रोसेसर पिन लैस आते हैं लेकिन आज से 5 साल पहले पिन वाले प्रोसेसर आते थे। इसनें सबसे प्रचलित पैन्‍टीयम 4 प्रोसेसर रहें हैं। आज के समय में इन्‍टेल कम्‍पनी के डयूलकोर और आई03 या आई07 प्रोसेसर काफी प्रचलित हैं। इन प्रोसेसरों से कम्‍प्‍यूटर की क्षमता काफी बढ जाती है। 


डी0वी0डीराइटर :-



 यह वह भाग है जो डी0वी0डी0-राइटर डिस्क में संचित डाटा को पढता है तथा डी0वी0डी0 को राइट भी करता है जब तक डी0वी0डी राइटर नहीं आया था तक डी0वी0डी रोम चलते थे और उससे पहले सी0डी0 राइटर या सी0डी0 रोम होते थे और उससे भी पहले फ्लोपी डिस्क ड्राइव होती थी जिसमें केवल 3;4 एम0बी0 डाटा ही स्‍टोर किया जा सकता था। आजकल ब्‍लूरे डिस्‍क क भी अविष्‍कार हो चुका है जिसमें लगभग 40 जी0बी0 तक डाटा स्‍टोर किया जा सकता है। इसके लिये कम्‍प्‍यूटर में ब्‍लूरे राइटर को लगाना आवश्‍यक होगा। 



रैम - 
रैम की फुलफार्म रैन्‍डम एक्सिस मैमरी होती हैरैम कम्‍प्‍यूटर को वर्किग स्‍पेस प्रदान करती यह एक प्रकार की अस्‍थाई मैमोरी होती हैइसमें कोई भी डाटा स्‍टोर नहीं होता है। जब हम कोई एप्‍लीकेशन कम्‍प्‍यूटर में चलाते हैंतो वह चलते समय रैम का प्रयोग करती है। कम्‍प्‍यूटर में कम रैम होने की वजह से कभी कभी हैंग होने की समस्‍या आती है तथा कुछ ऐप्‍लीकेशन को पर्याप्‍त रैम नहीं मिलती है तो वह कम्‍प्‍यूटर में नहीं चलते है। रैम कई प्रकार की आती हैजैसे DDR, DDR1, DDR2 तथा DDR3 आजकल के प्रचलन में डी0डी0आर03 रैम है। रैम के बीच के कट को देखकर रैमों को पहचाना जा सकता है।




पावर सप्लाई  :- 
कम्प्यूटर के सभी भागों को उनकी क्षमता के अनुसार पावर प्रदान करने का कार्य पावर सप्‍लाई करती है। 




5. यू.पी.एस.(अनिट्रप पावर सप्लाई ):- 


यह हार्डवेअर या मशीन कम्प्यूटर बिजली जाने पर सीधे बन्द होने से रोकती है जिससे हमारा सारा डाटा सुरक्षित रहता है।